Bhagwan Parshuram mantra in Sanskrit
परशुराम गायत्री मंत्र के लाभ
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् यह भगवान परशुराम जी को समर्पित परशुराम गायत्री मंत्र के नाम से प्रसिद्ध हैं | भगवान परशुराम भगवन विष्णु के छटे अवतार है | इस मंत्र के जाप से भक्त की चिंताए और भय समाप्त हो जाते है | यह परशुराम गायत्री मंत्र परशुराम दादा की महानता का वर्णन करता है | इस पावरफुल मंत्र के पुरश्चरण करने पर उस व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धि प्राप्त होकर कोर्ट कचेरी या फिर कोई भी सरकारी कामकाज में जीत प्राप्त होती है |
जो इस मंत्र का जाप भक्ति भाव एवं पुरे मन से श्रद्धा पूर्वक करता है उसे चिरंजीवी भगवान परशुराम अवश्य ही अपना आशीर्वाद प्रदान करते है | अगर आप पूर्ण आत्मसमर्पण करके इस मंत्र का १०८ बार जाप करते हो, तो आप को भी अवश्य विजय प्राप्त होगी |
भगवान परशुराम जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
इस मंत्र का मीनिंग बड़ा ही महत्वपूर्ण है | यह मंत्र भगवान परशुराम के सामर्थ्य का वर्णन करते हुए कहता है की –
ॐ – मतलब मंत्र के शुरुवात में पवित्र अक्षर ॐ का उच्चारण किया गया है
ब्रह्मक्षत्राय – जो ब्राह्मण भी है और क्षत्रिय भी है उनका (परशुराम जी का जन्म ब्राह्मण वर्ण में हुआ होने के कारण परन्तु उन्हें शस्त्र चलने का भी ज्ञान था इसीलिए उन्हें ब्रह्मक्षत्र कहा गया है )
विद्महे – मैं उनका ध्यान करता हूँ
क्षत्रियान्ताय – यानि (क्रूर या बिगड़े हुए, अपने कर्तव्यों से भटके हुए, अन्यायी और अधर्मी ) क्षत्रियों का अंत करने वाले, क्षत्रियों को समाप्त करने वाले
धीमहि – ध्यान करता हूँ
तन्नो – उनको (उस राम को )
राम: – भगवान राम, भगवान राम यह नाम ओरिजनली भगवान परशुराम का ही नाम है | विष्णु के सातवे अवतार अयोध्या के राम का नाम भगवन परशुराम के नाम पे ही रखा गया है | भगवान् परशुराम का नाम जन्म के समय राम था, लेकिन हमेशा अपने साथ फरसा या परशु होने के कारण उन्हें परशुराम कहा जाने लगा | राम, भार्गव राम, परशुराम यह सब नाम भगवान परशुराम के अनेक नामो में से एक है
प्रचोदयात् – हम उसका ध्यान करते हैं जो हमारी बुद्धि को प्रकाशित करता है।
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् meaning
“ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्” यह संस्कृत मंत्र है जो भगवान परशुराम की प्रार्थना के लिए होता है। इस मंत्र का अर्थ है:
“हम वह ब्रह्मक्षत्रीय (जो ब्राह्मण भी है और क्षत्रिय भी है उनको) को जानते हैं, उस क्षत्रियान्तक (क्षत्रियों के शत्रु) को हम ध्यान करते हैं। हमें उस राम (परशुराम) का ध्यान करने दें, वह हमें प्रेरित करे।”
यह मंत्र भगवान परशुराम की महिमा और उनकी शक्ति की प्रशंसा के लिए होता है, जो कि हिन्दू धर्म में प्रमुख देवता माने जाते हैं, भगवान परशुराम का कार्यकाल त्रेता युग में रहा है। इसे लोग उनकी शक्ति, धर्म, और साहस की प्राप्ति के लिए जपते हैं।
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Parshuram Janmotsav 2024 Friday 10 May 2024 ko hai